Saturday, March 11, 2017

एपिसोड-71 😇 “मैं भूल गई”

मीना की दुनिया-रेडियो प्रसारण
एपिसोड-71
दिनांक-05/02/2016

आज की कहानी का शीर्षक- “मैं भूल गई
       मिली मीना की सहेली है।  मिली की माँ उसे एक कागज़ और पेंसिल लाने को कहती है।
मिली: अरे माँ! अभी तो पढ़ाई की है मैंने।
माँ (हँसते हुए) "मैं पढ़ने के लिए नहीं कह रही हूँबल्कि लाला की दुकान से जो सामान लाना  है वो लिखने को कह रही हूँ।"
मिली: लिखना क्या ऐसे ही बोलो न माँ,............मैं ऐसे ही ले आऊँगी ......... मुझे सब याद रहता है। आप बोलो तो।
माँ: अच्छा बाबा.......अच्छा
1/2 किलो आटादो मुट्ठी धनियादो साबुनएक झाड़ू ......... और ......... और पैकेट वाला नमक ले आ।
मिली : देखा सब याद हो ही गया ......(झट से पूरी लिस्ट दोहरा देती है)
माँ: अच्छा     अच्छाअब जा,     और सामान लेकर जल्दी लौटना।
मिली सामान की लिस्ट दोहराते हुए जा रही है। तभी मीनाऊपर आम के पेड़ से उसे आवाज़ लगाती है।
मिली: तुम कहाँ हो मीना ?
मीना: मैं यहाँ हूँ मिलीऊपर देखोआम के पेड़ पर।
मिली : अरे मीना ! तुम पेड़ पर चढ़ कर क्या कर रही हो?
मीना: मीठे मीठे आम तोड़ रही हूँ। तुम भी आओ न।
मिट्ठू भी मिली को पेड़ पर आने को कहता है।
मिली: नहीं मीना अभी नहींअभी मुझे लालाजी की दुकान पर सामान लेने जाना है।
मीना: तो ठीक हैमै भी तुम्हारे साथ चलती हूँ। मुझे भी पानी भरने उसी तरफ जाना था। तुम एक मिनट रुको मिली। (मीना सरपट पेड़ से नीचे उतर कर घड़ा लेने जाती है।)

इतने मिली सामान दोहराती है। (मिली की माँ को जिस बात का डर था वही हुआमिली सब भूल गयी) ...............
आधा किलो धनियादो मुठ्ठी नमकदो साबुनएक झाड़ू और पैकेट वाला आटा।

मीना वापस आकर मिली के साथ चल पड़ती है। तभी मीना अचानक रुक जाती है और मिली पूछती है की वो रुकी क्यों है।
मीना: वो देखो समीर, ....... अपने घर से बहुत दूर एक छोटे से पिल्ले के साथ खेल रहा है।
दोनों समीर के पास जाती हैं।

समीर रोते हुए मीना को बताता है की उसे अपना घर नही मिल रहा है। वो उस पिल्ले के साथ खेलते खेलते वहां पहुँच गया है।

मीना: इसका मतलब तुम इस पिल्ले के साथ खेलते हुए इतनी दूर आ गए हो। तुम्हारी माँ कितनी चिंता कर रही होगी। मिट्ठू ............. भी अपनी चिंता जाहिर करता है।

समीर रोते हुए कहता है कि उसे माँ के पास जाना है।
मीना: अरे अरेरो क्यों रहे हो समीरहम तुम्हे तुम्हारे घर छोड़ देंगेचलो।

मिली और मीना ने समीर को उसके घर पहुंचा दिया (उसकी माँ वाकई बहुत परेशान थी)मीना पानी भरने चली गयी और मिली चली लालाजी की दुकान की ओर।

लालाजी: आअह मिली बिटियाक्या चाहिए ?
मिली: ह्म्म्म्म, (वो सब सामान भूल गयी थी)
आधा किलो धनियादो मुठ्ठी नमकदो छोटी झाड़ूएक साबुन और एक पैकेट वाला नमक।
लालाजीजल्दी से सामान दीजिये न। मीना कुँए पर मेरा इंतज़ार कर रही होगी।
लालाजी सामान बाँध कर मिली को देते हुए,"ये लो मिली तुम्हारा सामान "

मिली : ठीक है लालाजी मैं चलती हूँ।
लालाजी: अपने पिताजी से कहना की वो जल्द आकर हिसाब कर जाए।
मिली: कह दूँगी लालाजी
(ख़ुशी ख़ुशी मीना के साथ अपने घर जाती है)
घर पहुँच कर
मिली: माँ...... माँ.....
माँ: आई
मीना: नमस्ते चाची
माँ: अरे मीना तुम
मिट्ठू : मीना तुम समीर हो गया था  गुम
माँ: ये समीर कौनविद्या बहन का बेटा
मिली : वो सब छोड़ो न माँआप पहले ये देखोसारा सामान ले आई मैं। कहा था नकि मैं कुछ नहीं भूलूंगी।
माँ सामान देखने के बाद: हे भगवान् ! तुझे बोला भी था कि लिख कर ले जा। हो गयी न गड़बड़।
मिली : कैसी गड़बड़ माँसब तो लायी हूँ।
माँ: आधा किलो धनियाअरे आधा किलो आटा कहा था मैंने।
मिली: मैं भूल गयी। मुझे लगा .....  ह्म्म्म्म हाँ आप इस धनिये की चटनी बना लेना।
माँ: ये देखदो झाड़ू,
मिली : आपने ही तो कहा था की दो .....
माँ: साबुन, ...... दो साबुन कहे थे मैंनेएक नहाने के लिएदूसरा हाथ धोने के लिए। और तू ले आई दो झाड़ू। ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् अब इन दो झाड़ूओं को अपने दोनों हाथों में लेके घर साफ़ करूंगी क्या ?
मिली: भूल गयी माँ।
माँ: और ये जरा सा आटातुझसे कहा था आधा किलो आटा लाना
मिली: भूल गयी माँ
माँ: वो तो ठीक हैलेकिन ये क्या कियाये खुला हुआ साधारण नमक ले आई। मैंने तुझे कहा तो था की मिलीपैकेट वाला नमक लाना।
मिली: नमक तो नमक ही होता है माँ।
माँ: नहींबेटी पैकेट वाले नमक में आयोडीन होता हैऔर ये खुला साधारण नमक इसमें अक्सर iodine नहीं होता।
मिली: लेकिन बिना आयोडीन वाला नमक खाने से होता क्या है माँ?
माँ: दिमाग कमज़ोर हो जाता हैशरीर का विकास नहीं होता। छोटी सी बात समझने में भी बड़ी मुश्किल आती है।
मिना: हाँ चाचीबहनजी ने भी एक बार हमे ये बताया था की आयोडीन वाला नमक हमारे दिमाग और शरीर  के विकास के लिया बहुत जरूरी है।

माँ बताती है की समीर की माँ पहले आयोडीन वाला नमक इस्तेमाल नहीं करती थीइसी वजह से समीर को आयोडीन की कमी हुईऔर उसके दिमाग का विकास नहीं हुआऔर उसे चीज़े समझने में ज्यादा समय लगता है। लेकिन अब समीर की माँ को भी समझ में आ गया है की आयोडीन वाला नमक पूरे परिवार के लिए क्यों जरूरी है।
मिली:ओह्ह्हमुझे नहीं पता था की आयोडीन वाला नमक हमारे दिमाग के लिए इतना जरूरी है। चलो मीना हम अभी लालाजी की दूकान पर जाके आयोडीन वाला नमक ले आते हैं।


आज का खेल-  ‘कड़ियाँ जोड़ पहेली तोड़’
1. तीन टांग पर ये चलता है
2. गर्मी में राहत देता है
3. एक उंगली से घूम परे येरुके अगर तो पसीना बहता है।
उत्तर-पंखा

आज की कहानी का सन्देश-
            सभी को आयोडीन युक्त पैकेट वाला नमक ही खाना चाहिए। ताकि हम बिमारियों से भी बचे रहें और हमारा दिमाग हो जाए चुस्त और तेज़।
     
शिक्षा- साधारण और खुला नमक खाने से घेंघा जैसी खतरनाक बिमारी हो सकती है। यही नहींबिना आयोडीन वाला नमक खाने से हमारा दिमाग भी कमजोर हो सकता है।

एपिसोड-70 👻 “घर का भूत”

मीना की दुनिया-रेडियो प्रसारण
एपिसोड-70
दिनांक-04/02/2016

आज की कहानी का शीर्षक“घर का भूत”

      मीना अपने भाई और दोस्तों के साथ एक झोपड़ी के पास हैं। राजू भूत के डर से वहाँ जाने को मना कर रहा हैमीना उसे समझा रही है कि भूत जैसा कुछ नहीं होता क्योंकि बहनजी ने भी यही समझाया था।
राजू : नहीं मीनाहमने खुद उसकी आवाज़ सुनी थी।
 दूसरी आवाज़:और माँ भी हमे वहाँ जाने से मना करती है
 तीसरी आवाज़: वहाँ सचमुच भूत है।

मीना: चलोवहाँ सब लोग साथ चलते हैं।
हाँमीना सब लोग साथ चलते हैं।

मीना के हिम्मत देने से सभी ने एक साथ खेलना शुरू कर दिया। दीपू के जोर से बल्ला घुमाने से बॉल उस झोपड़ी के पास चली गयी।
और

वहाँ सचमुच आवाज़ें 🎶🎶 🎶🎶 आ रहीं थी
........ढोल की आवाज़
........घुंघरू की आवाज़


राजू डर से कांपते हुए कहता है: मीना
दीपू भी डर के बोलता है, : मैंने कहा था न कि सच में भूत है। चलो,      चलो सब मेरे साथ।
सब डर  कर वहाँ से जाने लगते हैं।

मीना उन्हें रोकती है और अपने साथ चलने को कहती है।
मिट्ठू भी कहता है कि हाँ सब आओ साथ डरने कि नहीं कोई बात

सब बच्चे डरे हुए हैं और वहां जानो को मना करते हैं
दीपू: हम सब घर जा रहे हैहमे नहीं जाना झोपड़ी के पास
मीना सब का सब्र बंधाते हुए कहती हैकि वो उनके साथ हैभूत जैसा कुछ नहीं होता।

मीना सब को वहीँ रुकने को कहती है। वह अकेली ही अंदर जाने की सोचती है।
 मीना मिट्ठू को ले झोपड़ी के अंदर जाने लगती है।
कि तभी..........
झोपड़ी से किसी ने बहुत जोर से गेंद बाहर फ़ेंक दी। गेंद मीना के ठीक सिर के ऊपर से गयी और खुद को बचाने के चक्कर में वो नीचे गिर जाती है,............
............तभी किसी ने उसके कंधे पर हाथ रखा......आवाज़ आई "उठो"

मीना: ये गेंद तुमने फेंकी है।

सीमा(गेंद फेंकने वाली लड़की): ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्हाँ हाँमेरा नाम सीमा है। हम लोग कुछ ही दिन पहले ही पास वाले गांव से यहां रहने आये हैं। मेरा घर यहीं पास में है।
मीना: लेकिनतुम यहाँ क्या कर रही हो सीमा।
ढोल,,घुंघरू की🎶🎶🎶🎶 आवाज़ फिर से आती है

मीना जानना चाहती है कि आखिर अंदर है कौन?
मीना और सीमा झोपड़ी के अंदर जाती हैं और क्या देखती हैं.......
उन दोनों को  गाय के रम्भाने की आवाज़ सुनाई देती है।
गाय के गले पर घुंघरू बंधे हैं और एक चारे से भरा कनस्तर।

दोनों साथ में: "ओह्ह्ह्ह
मीना: तो अब समझीये है भूत की आवाज़, .....
दोनों जोर से हंसती हैं

सीमा बताती है कि जब इन आवाज़ों को सुनकर सब उसे भूत की आवाज़ सुनकर डरते हैं तो उसे बहुत मज़ा आता है। हाहाहाहा,,,,,,,,

मीना अचंभित हो पूछती है कि किसी को डरा कर उसे मज़ा कैसे आ सकता है ?? किसी के डर पर हंसना तो अच्छी बात नहीं। और ये गाय तो सरपंच जी की है और वो खो गयी थी।

ओह्ह्ह्ह्ह जिसे बच्चे भूत समझ कर डर रहे थे वो तो गाय निकली।

इधर झोपड़ी के बाहर,
दीपू: मीना ने भूत से गेंद तो छुड़वा ली मगर
राजू: मगर मीना कहाँ रह गयी।
दीपू : कहीं भूत ने उसे,........
वो सब अंदर चलने का मन बनाते हैं

सभी मीना को ढूँढ़ते हुए अंदर जाते हैं,
मीनामीनामीना

मीना को सकुशल देखते ही

राजू : मीना तुम ठीक तो हो न
         और ये?
         ये कौन है
मीना: ये सीमा हैगाँव में नई नई आई हैयहीं पास में रहती है।
वो सब को गाय रुपी भूत से मिलवाती है

बच्चे गाय के गले में बंधे घुँगरू और कनस्तर का राज़ जानना चाहते हैं।

सभी को घुंघरू और ढोल की आवाज़ का रहस्य समझ में आ जाता है।
मिट्ठू भी अपनी चोच बीच में घुसाता है।

सब हँसते हैं और रोज़ वहां आकर खेलने की बात करते हैं।

दीपू: हँसते हुए,,,,,,, मीना तुम भी हमारे साथ क्रिकेट खेलो नागेंद तो बहुत ज़ोर की फेंकती हो तुम

मीना: नगेंद तो सीमा ने फेंकी थी। टीम में रखना है तो सीमा को रखो।
राजू: अव्व्व्,  सीमा,  तुम खेलोगी हमारी टीम में?
सीमा: हाँजरूर खेलूंगी।
दीपू: लेकिन सीमातुम यहाँ इस झोपड़ी मेंगाय के साथ?
सीमा: मैं इसका दूध पीने आती हूँ दीपू। मुझे दूध बहुत अच्छा लगता है। पुराने गाँव में तो हमारे पड़ोस में ही गाय थी।  माँ रोज़ उसका दूध लाकर पिलाती थी।
लेकिन यहाँ हम नए हैं ना,
फिर एक दिन मैंने यहां ये गाय दखी। मैं उसे रोज़ यहाँ चारा देने आती हूँ। और मज़े से उसका दूध भी पीती हूँ।

मीना: दूध तो सबको पीना चाहिए। इसे पीने से हमारी हड्डियां मज़बूत होती हैं। क्योंकि उसमे कैल्शियम होता है। बहनजी ने बताया था ना।

चलोअब सबसे पहले सरपंचजी को उनकी गाय के बारे में बताते हैँ। वो कबसे इसके लिए परेशान हैं। क्यों सीमा?

सीमा: हाँ तुम ठीक कहती हो मीना।
मुझे नहीं पता था की ये सरपंच जी की गाय है। नहीं तो मैं पहले ही इसे उनके पास छोड़ आती।

सब बच्चे सरपंच जी को उनकी गाय वापस करने गए। गाय को देखकर सरपंचजी बहुत खुश हुए। और फिर वो रविवार को बच्चों का मैच देखने भी आये।
मैच दीपू की टीम ने जीता।
बहनजी ने सभी बच्चों के साथ साथ सीमा की भी तारीफ़ की। बच्चों को समझाया की हमारे शरीर को सहि खाना और कैल्शियम मिलता है तो हम तंदरुस्त तो रहते ही हैं साथ ही हमारी हड्डियां भी मज़बूत होती हैं और हम पड़ाईखेलकूदसब में आगे भी रहते हैं। कैल्शियम मिलता है दूध और दूध से बनी चीज़ों से।

सरपंच जी अपनी होनहार टीम के हर बच्चे को एक गिलास दूध अपनी गाय के मिल जाने की ख़ुशी में पिलाते हैं।

हर्षोल्लास की ध्वनि|
 आज का खेल:- शब्दों की पहेली -- सेहत
1 सेब
2 हरी सब्जियाँ

3 तरबूज़

हिम्मत और सूझबूझ से भूत का डर ख़त्म हुआ। सीमा जैसी तंदरुस्त बच्ची की वजह से दीपू की टीम जीत जाती है।

सन्देश:
दूध दही  पनीर से मिलता हमको कैल्शियम। कैल्शियम करता हड्डियों को मज़बूत। खाना हमेशा पूरा खाना चाहिए।

एपिसोड-69 🙋🏻 रात को क्या खाया?

मीना की दुनिया-रेडियो प्रसारण
एपिसोड-69
आज की कहानी का शीर्षक- “ रात को क्या खाया?”
सूचनार्थ:- अपरिहार्य कारणों से आज की कहानी का विस्तृत विवरण दे पाना संभव नहीं हो पा रहा है|
....तो प्रस्तुत है आज के एपिसोड का संक्षिप्त विवरण
प्रसारित खेल- ‘नाम अनेक अक्षर एक’
अक्षर- ‘ग’
• व्यक्ति- गाँधी जी
• जानवर- गैंडा
• चीज- गन्ना
• स्थान- गुजरात
प्रसारित कहानी का सन्देश- दांतों को साफ रखने से दांत स्वस्थ रहते हैं तथा मुंह से बदबू भी नहीं आती है|

एपिसोड-68 🙋🏻 “क्यों न ऐसा करें”

मीना की दुनिया-रेडियो प्रसारण
एपिसोड-68
दिनांक-01/02/2016

आज की कहानी का शीर्षक- “क्यों न ऐसा करें
            मीना मिट्ठू को डांट रही है तभी रानों वहाँ आ जाती है और मीना से मिट्ठू को डांटने का कारन पूंछती है तब मीना बताती है की मिट्ठू हमारे घर के सामने वाली सन्नो चाची के घर से ये मिट्ठू उनका हार उठा लाया है। रानो कहती है तो तुमने उसे रोका क्यों न मीना बताती है की उस समय मई घर की साफ सफाई कर रही थी। रानो कहती है की इसमें परेशानी की क्या बात है तुम हार को फिर से सन्नो चाची के घर में रख दो। मीना बताती है कि परेशानी की बात तो ये ही है वो हर मिट्ठू ने पेड़ की दल में फंसा दिया है और उस पेड़ की दल इतनी कमजोर ही की उस पर चढ़ा भी न जा सकता और मिट्ठू भी उसे नहीं निकल पा रहा।
तब रानो मीना को पत्थर फेक कर हार में निशाना लगाने की युक्ति देती है जो मीना को पसंद भी आती है और फिर मीना और  रानो पत्थर से निशाने लगाते है। मीना का एक पत्थर सही निशाने में लग जाता है और हार जमीं में आ कर गिर जाता है। हार को मीना और रानो हार को सन्नो चाची के घर की खिड़की से घर के अन्दर डाल देते है।
......पर उस खिड़की से कोई सन्नो चाची के घर में न घुस जाये और वो हार व् अन्य सामानों की चोरी न कर ले जाये इस लिए मीना और रानो वहीं पास के पेड़ के नीचे बैठ कर सन्नो चाची का इंतजार करते हैं।
सन्नो बातो बातो में बताती है की उसे  किताब के पाठ याद नहीं होते। ये पोषण पाठ को ही देखो 3 दिन से याद कर रही हूँ पर याद ही न हो रहा। तब मीना रानो को युक्ति देती है कि पाठ को यदि रूचि पूर्वक  खेल खेल में याद किया जाये तो उसे आसानी से याद किया जा सकता है। फिर मीना पूंछती है कि इस पाठ में तुम्हे क्या याद न हो रहा। तब रानो पढ़ कर सुनाती है कि खाने के तीन रंग सफ़ेद जैसे चावल रोटी हमें शक्ति प्रदान करते हैं पीला जैसे दाल शरीर का विकास करता है और हरा जैसे पालक व् अन्य सब्जिय हमें बिमारियों से बचातें है।
तब मीना रानो को इस पाठ को याद करने की युक्ति कुछ यूँ बताती है कि शक्ति से तुम्हे क्या याद आता है रानो। रानो कहती है भागना। मीना कहती है इससे वाक्य बना "भागने की शक्ति"  रानो को यद् हो जाता है की सफ़ेद खाना जैसे चावल और रोटी हमारे शारीर को शक्ति प्रदान करते हैं।
मीना आगे पूंछती है शरीर के विकास से क्या याद आता हैरानो बताती है पहलवान चाचा।
मीना कहती है  अब सोचो "पहलवान चाचा एक हाँथ में मूंग की दाल का और दूसरे हाँथ में चने की दाल का बोरा ले कर कसरत कर रहे है।"
रानो को ये बात भी समझ आ जाती है कि पीले रंग का खाना जैसे दाल हमारे शारीर का विकास करती है।
मीना आगे पूंछती है की हरे रंग से तुम्हे क्या यद् आता है तो रानो कहती है कि पेड़। मीना इस पेड़ से बताती है की अब सोचो कि पहलवान चाचा तुम्हारे पीछे पीछे  भाग रहे है और तुम हरे पेड़ के पीछे छुप जाते हो पहलवान चाचा से बचने को।
रानो ये बात भी समझ जाती है कि हरे रंग का खाना जैसे पालक व अन्य हरी सब्जी हमें बीमारियों से बचाते है।
इस तरह मीना खेल खेल में पूरा पाठ रानो को याद करा देती है।


मीना,मिठ्ठू की कविता -
मिलेगी शक्ति बढ़ोगे तुम सबकभी न होगे बीमार।
याद रहे मजबूत खानातुम खाना हर बार।।

आज का गाना-
जब मैं गाऊँ साथ में तुम्हें गाना पड़ेंगा।
लेकिन पहले पूरा खाना खाना पड़ेगा।।
कितनी सुन्दर सजी है थाली रोटी चावल सब्जी डाली।
दही भी है और दाल भी देखो
                               ताकत भी है स्वाद भी देखो।।                                       
ताकतवर तो खुद को बनाना पड़ेगा।
इसीलिए तो पूरा खाना खाना पड़ेगा।

आज का खेल-    ‘अक्षर एक नाम अनेक’

अक्षर- "ल"
·         व्यक्ति- लाला लाजपत राय(पंजाब केशरी)
·         जानवर-लोमड़ी
·         चीज-लोटा लकड़ी लड्डू
·         स्थान-लक्षद्वीप(केंदेशासित प्रदेश)
सन्देश-       “सम्पूर्ण आहार को रोज खाओ।
         सेहत शक्ति और विकास पाओ।


शिक्षा- हर तरह का खाना खाना चाहिए।