Thursday, November 17, 2016

मीना-एक परिचय

मीना-एक परिचय
यूनीसेफ (Unicef) की परिकल्पना ‘मीना’
एक काल्पनिक कार्टून(cartoon) चरित्र है,जिसकी शुरुआत हुयी।

  • ▷ 1990 में कार्यक्रम ‘मीना मंच’ की कल्पना।
  • ▷ 1998 में उच्च प्राथमिक स्तर पर लागू (24,सितम्बर’1998)
  • ▷ 2002 में क्रियान्वयन
  • ▷ 2007 में प्रभावी
  • ▷ 2009 में ‘मीना की दुनिया’ concept की संकल्पना
  • ▷ 2010 में उ०प्र० के उच्च प्राथमिक विद्यालयों में लागू
  • ▷ 2013 में प्राथमिक,उच्च प्राथमिक स्तर एवं कस्तूरबा विद्यालयों (KGBV) में लागू।

  • उद्देश्य-
1. बालिकाओं की शिक्षा पर जोर
2. समान अवसर उपलब्ध करना ( लिंग भेद मिटाना)
3. मित्रवत व्यवहार करना
4. बाल मित्र समाज का निर्माण करना। 


‘पढ़ें-पढ़ायें रेडियो मीना’ की संकल्पना को चरितार्थ करने हेतु यूनिसेफ और सर्व शिक्षा अभियान के सहयोगात्मक प्रयास से  24 सितम्बर 2014 से 7,मार्च’2015 तक मीना की दुनिया-रेडियो प्रसारण कार्यक्रम के कुल 103 एपिसोड्स (सोमवार से शनिवार) का आकाशवाणी के विभिन्न केन्द्रों से प्रसारण किया जा रहा है।

जिसकी समय-सारिणी भी विद्यालय स्तर पर उपलब्ध करायी गयी है।  15 मिनट के इस कार्यक्रम का प्रसारण फैजाबाद, अम्बेडकर नगर, बरेली, पीलीभीत, बदायँत जनपदों हेतु 12:00 pm से 12:15 pm तक तथा अन्य समस्त जनपदों हेतु 11:15 am से 11:30 am तक किया जाता है।  लखनऊ आकाशवाणी केंद्र से इसका प्रसारण 401.61 meter यानी 747khtz पर पूर्वाहन 11:15 am से 11:3 0am तक किया जाता है।



  • मीना की दुनिया-रेडियो प्रसारण का विद्यालय स्तर पर क्रियान्वयन-
• समयावधि- 11:05 am से 11:50 am 
✓ प्रथम चरण- बैठक व्यवस्था(11:05am से 11:15am तक) 
✓ द्वितीय चरण- प्रसारण(11:15am से 11:30am)
✓ प्रश्नावली, खेल(11:30am से 11:50 am)

• अभिलेखीकरण-
✓ रजिस्टर नाम होगा-‘मीना की दुनिया
✓ दिनांक/ दिन/ प्रसारण समय 
✓ प्रसारित कहानी का शीर्षक एवं संक्षिप्त विवरण 
✓ प्रश्न एवं उनके उत्तर (जो की सम्बन्धित कहानी से बच्चों से पूँछे जायेंगे)
✓ प्रतिभागियों की संख्या 

◈ मीना- “मीना ९ वर्ष की एक लड़की है जो यूनिसेफ की परिकल्पना है।  जो उमंग और उत्साह से भरी हुयी है तथा जिसकी सोच सकारात्मक है।  जो प्रश्न पूंछने में झिझकती नहीं है।  जो कमजोर वर्ग के लिए हमेशा आवाज उठाती है।  दूसरों की आवश्यकताओं के प्रति संवेदनशील है।  परिवारीजनों,मित्रों एवं समाज की सहायता करने में तत्पर रहती है। ”
मीना का छोटा भाई है राजू तथा मिठ्ठू उसका पालतू तोता है।  दीपू,रानो,सुमी,रीना,कृष्णा,......मीना के मित्र एवं सहपाठी हैं।  बहिन जी व रजनी बहिन जी मीना के स्कूल की शिक्षिकायें हैं।  शोभा काकी,पोंगाराम चाचा,नर्स बहिन जी,डॉक्टर बाबू,सरपंच जी ,साथ के गाँव के मुखिया प्रधान जी,.............इत्यादि चरित्र गड़े गए है।  परिवेश ग्रामीण है।

प्रसारित होने वाले एपिसोड की शुरुआत होती है मीना के ‘परिचय गीत’-

“ सरस सुन्दर अपनी मीना
जो करे सरल सबका जीना 
चतुर सफल है अपनी मीना
क्यों न सीखें इससे जीना ”

से जिसे तीन चरणों में बांटा गया है,

o  प्रथम चरण में कहानी,जो सूत्रधार के माध्यम से आगे बढ़ती जाती है । 
o  दूसरे चरण में है गीत, जो बढ़ता है मीना,मिठ्ठू की कविता से तथा 
o  तीसरे चरण में है खेल, जो निकलता है मीना की बहिन जी के ‘जादू का बक्सा’ से। 

एडमिन उवाच- प्रत्येक एपिसोड के माध्यम से स्वास्थ्य और स्वच्छ जीवन को प्रेरित करता ‘मीना की दुनिया-रेडियो प्रसारण’ यकीनन ‘शिक्षा का अधिकार’ को जन-जन तक पहुँचाकर सर्व शिक्षा अभियान के लिये सहायक हो मदद कर रहा है।  ‘मीना’ एक ऐसा नाम है जो किसी धर्म विशेष का प्रतिनिधित्व नहीं करता।  चूँकि ‘मीना मंच’ का प्रारम्भ 24,सितम्बर को हुआ था, मीना के जन्म दिवस (24,सितम्बर) को ‘मीना दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। 
इस उम्मीद और आशा के साथ कि कहीं मीना की दुनिया-रेडियो प्रसारण का मूल उद्देश्य अभिलेखीकरण की आड़ में उलझ कर न रह जाए। अतः आप सब से निवेदन है कि इस कार्यक्रम के उद्देश्य को हमारे नन्हे-मुन्हें बच्चों तक पहुंचाने में अवश्य ही सहयोग करें।

Sunday, November 13, 2016

मीना की दुनिया के नन्हे पाठकों और श्रोताओं के शिक्षकों के लिए

मीना की दुनिया के नन्हे पाठकों और श्रोताओं के शिक्षकों के लिए


1.  बच्चों से पूछें कि उन्हें मीना की यह कहानियाँ मनोरंजक या शिक्षाप्रद कैसी लगीं। उनसे कहानियाँ दोहराने को कहें।
2.  कहानी में आए या सुने हुए उपयुक्त कठिन शब्दों पर बातचीत करें। कोशिश करके उनके परिवेश से आए हुए शब्दों से उनका तदात्म्य स्थापित हो सके। 

3. कहानी में आए प्रमुख सामाजिक मुद्दों और दी गई स्थिति में मीना की भूमिका पर सवाल-जवाब करें। कोशिश करें कि बच्चों की दिन प्रतिदिन की जीवन से वह सवाल जुड़ें और उन्हें सोचने को वह विवश हों। 

4.  कहानी में प्रस्तुत मीना के प्रमुख गुणों पर बातचीत करें और बच्चों को उसके जैसा बनने की प्रेरणा भी दें। कभी कभी यह सवाल भी रोचक हो सकता है कि क्या वास्तव में ऐसे गुणों पर उन्हें उनके परिवेश में भी शाबासी मिली है क्या? यदि हाँ तो उसको सभी के सामने अभिव्यक्ति का मौका भी दें। 

5.  बच्चों में समालोचना करने की क्षमता विकसित करें। यह महत्वपूर्ण है कि बच्चे अपने साथियों के साथ अपने मुद्दों पर स्वतंत्र रूप से चर्चा करें और सामूहिक रूप से समस्याओं का समाधान खोजने का प्रयत्न करें। बच्चों को चर्चा में सहभाग करने के लिए भी उन्हें बढ़ावा देना चाहिए।




6.  बच्चों से पूछें कि कहानी में प्रस्तुत स्थिति में वे क्या करते और क्यों? ऐसे स्थिति में बच्चों के विचार उनकी मनःस्थिति को समझने में भरपूर कारगर हो सकते हैं।

7.  कहानी के मुख्य संदेश  के बारे में बच्चों से पूछें। उस संदेश के बारे में बच्चों के विचार भी जानने की कोशिश की जानी चाहिए।

8.  बच्चों से पूछें, ‘‘आपको इसमें कौन-सा पात्र अच्छा लगा और क्यों?’’ यह भी पूछें, ‘‘आपको इसमें कौन-सा पात्र अच्छा नहीं लगा और क्यों?’’ दोनों की तुलनात्मक स्थितियों के बारे में भी सवाल करें?

9.  कहानी में दी गई गतिविधियों को कक्षा में करवाएँ और बच्चों का उस गतिविधि में सहभाग सुनिश्चित करें। इस प्रक्रिया में सभी बच्चों और विशेष रूप से लड़कियों को अवश्य स्थान दें।

10.  बच्चों को मीना की दुनिया में दी गई कहानियों को अपने परिवार के अन्य सदस्यों के साथ बाँटने को कहें। और उनके साथ हुई परस्पर बातचीत को भी जानने की कोशिश करते रहें।


मुझे उम्मीद है कि  जल्दी ही इन बतकहियों से आप मीना की कहानियों के सहारे अपने बच्चों के दिल में जो संदेश देना चाहतें हैं, वह सीधे उतार सकेंगे?