1. बच्चों से पूछें कि उन्हें मीना की यह कहानियाँ मनोरंजक या शिक्षाप्रद कैसी लगीं। उनसे कहानियाँ दोहराने को कहें।
2. कहानी में आए या सुने हुए उपयुक्त कठिन शब्दों पर बातचीत करें। कोशिश करके उनके परिवेश से आए हुए शब्दों से उनका तदात्म्य स्थापित हो सके।
3. कहानी में आए प्रमुख सामाजिक मुद्दों और दी गई स्थिति में मीना की भूमिका पर सवाल-जवाब करें। कोशिश करें कि बच्चों की दिन प्रतिदिन की जीवन से वह सवाल जुड़ें और उन्हें सोचने को वह विवश हों।
4. कहानी में प्रस्तुत मीना के प्रमुख गुणों पर बातचीत करें और बच्चों को उसके जैसा बनने की प्रेरणा भी दें। कभी कभी यह सवाल भी रोचक हो सकता है कि क्या वास्तव में ऐसे गुणों पर उन्हें उनके परिवेश में भी शाबासी मिली है क्या? यदि हाँ तो उसको सभी के सामने अभिव्यक्ति का मौका भी दें।
5. बच्चों में समालोचना करने की क्षमता विकसित करें। यह महत्वपूर्ण है कि बच्चे अपने साथियों के साथ अपने मुद्दों पर स्वतंत्र रूप से चर्चा करें और सामूहिक रूप से समस्याओं का समाधान खोजने का प्रयत्न करें। बच्चों को चर्चा में सहभाग करने के लिए भी उन्हें बढ़ावा देना चाहिए।
6. बच्चों से पूछें कि कहानी में प्रस्तुत स्थिति में वे क्या करते और क्यों? ऐसे स्थिति में बच्चों के विचार उनकी मनःस्थिति को समझने में भरपूर कारगर हो सकते हैं।
7. कहानी के मुख्य संदेश के बारे में बच्चों से पूछें। उस संदेश के बारे में बच्चों के विचार भी जानने की कोशिश की जानी चाहिए।
8. बच्चों से पूछें, ‘‘आपको इसमें कौन-सा पात्र अच्छा लगा और क्यों?’’ यह भी पूछें, ‘‘आपको इसमें कौन-सा पात्र अच्छा नहीं लगा और क्यों?’’ दोनों की तुलनात्मक स्थितियों के बारे में भी सवाल करें?
9. कहानी में दी गई गतिविधियों को कक्षा में करवाएँ और बच्चों का उस गतिविधि में सहभाग सुनिश्चित करें। इस प्रक्रिया में सभी बच्चों और विशेष रूप से लड़कियों को अवश्य स्थान दें।
10. बच्चों को मीना की दुनिया में दी गई कहानियों को अपने परिवार के अन्य सदस्यों के साथ बाँटने को कहें। और उनके साथ हुई परस्पर बातचीत को भी जानने की कोशिश करते रहें।
मुझे उम्मीद है कि जल्दी ही इन बतकहियों से आप मीना की कहानियों के सहारे अपने बच्चों के दिल में जो संदेश देना चाहतें हैं, वह सीधे उतार सकेंगे?
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