Saturday, December 10, 2016

एपिसोड-32 👦🏻🚰 "दीपू और साबुन का किस्सा"

 मीना की दुनिया-रेडियो प्रसारण

 एपिसोड-32
कहानी का शीर्षक दीपू और साबुन का किस्सा ”
                मीना,राजू और दीपू किसी भाग दौड़ में लगे हुए हैं|
मीनादीपूअब तो मैं उंच-नीच का खेल खेलते-खेलते थक गयी हूँ|
दीपूहाँ मीनामैं भी थक गया हूँथोड़ी देर आराम करते हैंतब तक मैं एक नया गाना सुनाता हूँसुनो-
“सबसे पहले होता है हाथ गीलाफिर ...ला ला..ƨƨƨ ....
मीनावाह दीपूसाबुन वाल नया गानामैं इसे रेडियो पर भी सुना है|
दीपूहाँ मीनाथा न अच्छा गाना?
मीनादीपूगाना तो अच्छा था पर तुम तो बीच की एक लाइन भूल गए|
राजूमैं बताता हूँ...सुनो-
‘सबसे पहले होता है हाथ गीलाफिर हाथ पे नाचे साबुन रंगीला|
हाथों को साफ करे छम छमा छमक्योंकि साफ हाथ में है दम|’

दीपूअरेहाँसाबुन वाली लाइन तो मैं भूल ही गया था|
मीना- ..पर दीपूतुम जब भी कुछ भूल जाते हो तो अपने नाख़ून क्यों चबाते हो?....और अब फिर से नाख़ून चबा रहे हो|
मिठ्ठू ने तान छेड़ी, "नाखून चबा रहे हो मैल खा रहे हो|”
   राजूदीपू से शर्त लगाता है कि अगर उसने ये गाना बिना कोई भी लाइन भूले सुना दिया तो वह अपने सारे कंचे दीपू को दे देगा|
मीनाराजूबहिन जी कहती हैं‘शर्त लगाना बुरी बात है|’
राजूमैं शर्त थोड़े ही लगा रहा हूँ,मैं तो बस किसी को इनाम दे रहा हूँअगर वो कल एक भी लाइन नही भूला तो....| “मुझे इनामनही चाहिए राजूपर कल मैं तुम्हें पूरा गाना सुनाऊंगा |” दीपू बोला, “ बस...राजूअब मुझे भागना पड़ेगा|”
   दीपू अचानक से जब वहां से अपना पेट पकड के भगा तो मीना ने राजू से इसका कारण पूँछा|
राजू ने बताया....दीपू का पेट एक दम से ख़राब हो जाता है और फिर वो ऐसे ही भाग जाता है शौच करने|
मीनाकल उससे मिलके पूँछना पड़ेगा कि अचानक उसे क्या हो जाता है?
         लेकिन जब अगली शाम को मीना और राजूदीपू के घर पहुंचे तो उन्हें कुछ और ही पता चला|
दीपू की माँ बताती है...वो तो कल शाम से ही बीमार हैउसके पेट में दर्द है|”
मीनाओहलेकिन चाची जीदीपू तो पिछले हफ्ते भी बीमार पड़ गया था...हैं न|
दीपू की माँअब क्या बताऊँ मीना बेटीमुझे तो उसकी सेहत को लेकर चिंता सताये जा रही है|
     दीपू की माँमीना और राजू को डॉक्टर बाबू को बुलाने को भेजती हैं|
जल्द ही मीना और राजूडॉक्टर बाबू को लेकर दीपू के घर पहुंचे|
डॉक्टर बाबूदीपू से उसकी तबियत का हाल पूंछते हैं|
दीपूअभी भी पेट में दर्द हो रहा है डॉक्टर बाबू|
 डॉक्टर बाबूये बताओ.... तुमने खाने में क्या-क्या खाया?
“डॉक्टर बाबूयर तो घर में पकाया हुआ ताज़ा खाना ही खाता है|” दीपू की माँ ने कहा|
डॉक्टर बाबूहूँ....दीपूभूँख लगी हैकुछ हल्का-फुल्का खाओगे?
दीपूबाद में.....अभी तो मुझे शौचालय जाना है|
         और जब दीपू शौचालय से बाहर निकला तो डॉक्टर बाबूमीना और राजू तीनों ने देखा कि दीपू ने हाथ तो धोये लेकिन साबुन का इस्तेमाल नहीं किया|

डॉक्टर बाबू-दीपूतुमने अपने हाथ बड़ी जल्दी धो लिए|
दीपूजी वो...
डॉक्टर बाबूभईमैं तो अपने हाथ धोने से पहले उन्हें अच्छी तरह से रगड़ता हूँ ,साबुन से झाग बनाता हूँफिर आगे पीछे,उँगलियों के बीच में,हथेलियों पे नाखून रगड़ के....| लेकिन दीपू तुमने साबुन से हाथ क्यों नही धोये?
“मैंने पानी से हाथ धो तो लिए|” दीपू ने जबाब दिया|
डॉक्टर बाबू-नहीं दीपूशौच के बाद सिर्फ साबुन से हाथ धोना काफी नहीं है|साबुन का इस्तेमाल जरुर करना चाहिये|...क्योंकिशौच के बाद हाथों में कीतानुहो सकते हैंजो हमारे शरीर के अन्दर पहुँचकर हमें बीमार कर देते हैं|
“डॉक्टर बाबूक्या वो कीटाणु पानी से नहीं धुलते? दीपू ने पूँछा|
डॉक्टर बाबूनहीं...इसीलिये साबुन का इस्तेमाल बहुत जरुरी है क्योंकि अगर साबुन का इस्तेमाल नहीं किया तो हाथ साफ होंगे ही नहीं और अगर गलती से भी ये गंदे हाथ हमारे मुंह में चले गए तो ये कीटाणु हमारे पेट में पहुँचकर हमें बीमार कर देंगे|
“दीपूतुम तो अपने नाखून भी चबाते होहैं  मीना|” राजू ने जोड़ा|
मीनाहाँ राजूदीपूयाद हैं न बहिन जी कहती हैं नाखूनों में जमी मेल में कीटाणु होते हैं और जब तुम नाख़ून चबाते हो तो यही कीटाणु तुम्हारे मुंह में चले जाते हैं|
डॉक्टर बाबूओहतो ये बात है|..पता है इसे याद रखने के लिए मेरे पास एक गना भी है-
    “‘सबसे पहले होता है हाथ गीलाफिर हाथ पे नाचे साबुन रंगीला|
                  (दीपू भी साथ में गाता है)
     हाथों को साफ करे छम छमा छमक्योंकि साफ हाथ में है दम|
मीनाअरे वाहदीपू आज तो तुम हाथ धोने वाली लाइन भूले ही नहीं|
दीपू-मीना.... अब मुझे सब याद रहेगासिर्फ गाना ही नहीं.सचमुच साबुन से हाथ धोना भी|
दीपू की माँदीपू बेटा,डॉक्टर बाबू और बहिन जी की बात हमेशा याद रखना,अब साबुन से हाथ धोना कभी मत भूलना|
“राजूदेखना जब मैं ठीक हो जाऊंगा तो साथ में फिर से कंचे खेलेंगे|” दीपू ने कहा|
राजूहाँ दीपू,अब तुम जल्दी ठीक हो जाओगे|

“ठीक हो जाओगे साबुन से कीटाणु भगाओगे|” मिठ्ठू चहका|

मीनामिठ्ठू की कविता-
       जब भी निकलो शौच के बादलो पानी और साबुन |
       रगड़-रगड़ के दोनों हाथसफाई है अच्छा  गुण ||


 आज का गाना-
          हाथ भिगो के लगा के साबुन,खूब बना ले झाग|
          रगड़-रगड़ धोले इनको तभी ये होंगे साफ -
          रखना साफ अपने हाथ,  सीधी सी है बात|
                                      (सीधी बात..)
          हाथ से करते मेहनत(..मेहनत),हाथों में है ताकत(..ताकत)
          हाथ मिलाके दोस्त हैं बनतेहाथों में है किस्मत
          अरेहाथों में है किस्मत| (....किस्मत)
          रखना साफ अपने हाथ,  सीधी सी है बात|
                                       (सीधी बात)
          हाथ पकडके  चलतेहाथ मिलाके गाते|
          हाथों से कॉपी में लिखतेहाथ से खाना खाते|
          अरेहाथ से खाना खाते| (...खाते)
          रखना साफ अपने हाथ,  सीधी सी है बात|
          रगड़-रगड़ धोले इनको तभी ये होंगे साफ -

आज का खेल‘अक्षरों की अन्त्याक्षरी’
शब्द-‘जीवन’
    -  जामुन     
    -  विमान      
   -  नीम


आज के कहानी का सन्देश- शौच के बाद सिर्फ साबुन से हाथ धोना काफी नहीं होता हैसाबुन कीटाणुओं को दूर रखने के लिएबहुत जरूरी है|

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